सन्न
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सन्न ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चिरौजी का पेड़ । पियाल वृक्ष ।
२. परिमाण में स्वल्पता । कमी । अल्पता (को॰) ।
३. नाश । ध्वंस । विनाश (को॰) ।
सन्न ^२ वि॰ [सं॰ शून्य, हिं॰ सुन्न]
१. संज्ञाशून्य । संवेदनारहित । बिना चेतना का सा । स्तब्ध । जड़ । जैसे,—यह भीषण संवाद सुनते ही वह सन्न रह गया ।
२. भौचक । ठक । स्तंभित ।
३. एकबारगी खामोश । सहसा मौन । एकदम चुप ।
४. डर से चुप । भय से नीरव । जैसे,—उसके डाँटते ही वह सन्न हो गया । क्रि॰ प्र॰—करना । —होना । मुहा॰—सत्र मारना = सन्नाटा खींचना । एकबारगी चुप हो जाना ।
सन्न ^३ वि॰ [सं॰]
१. जो सिकुड़ गया हो । संकुचित ।
२. समाप्त । नष्ट । मृत ।
३. दुर्बल । क्षीण ।
४. सुस्त । विषराण । विषाद- युक्त ।
६. जिसमें कोई हरकत न हो । गतिहीन । मंद ।
७. झुका हुआ । अवनत । म्लान ।
८. निकटस्थ । समीपर्वती । सटा हुआ ।
९. बैठा हुआ । आसीन ।
१०. गत । प्रस्थित ।
११. धीमा । मंद । जैसे,—स्वर [को॰] । यौ॰—सन्नकंठ = गद्गद कंठवाला । रुँधे गलेवाला । सन्न- जिह्व = जो चुप हो । मौन । सन्नधी = उत्साहरहित । विषण्ण । सन्नभाव = त्याक्ताश । म्लान । उद्विग्न । सन्न- मुसल = कार्य में अप्रयुक्त या रखा हुआ मूसल । सन्नवाक्, सन्नवाच् = मंद स्वर में बोलनेवाला । जो धीमी आवाज में बोलता हो । सन्नशरीर = श्लयदेह । थका हुआ । सन्नहर्ष = आनंदरहित । उत्साहहीन । विषणण ।