सपिण्ड

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सपिंड संज्ञा पुं॰ [सं॰ सपिण्ड] एक ही कुल का पुरुष जो एक ही पितरों को पिंडदान करता हो । एक ही खानदान का । विशेष—छह् पीढ़ी उपर और छह् पीढी़ नीचे तक के लोग सपिंड की गणना में आते है । इनके अतिरिक्त माता, नाना और पड़नाना आदि, कन्या, कन्या का पुत्र और पौत्र आदि तथा पिता माता के भाई बहिन आदि बहुत से आते हैं ।