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सप्तपदी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सप्तपदी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. विवाह की एक रीति जिसमें वर और वधू अग्नि के चारों ओर सात परिक्रमाएँ करते हैं और जिससे विवाह पक्का हो जाता है । भाँवर । भँवरी ।

२. किसी बात को अग्नि की साक्षी देकर पक्का करना ।

सप्तपदी पूजा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] विवाह के अवसर पर होनेवाला एक पूजन । विशेष—इसमें एक लोढ़ा वर और वधू के आगे रखकर वर को उसे पूजने को कहा जाता है, पर वह उसे पैर से हटा देता है ।