समवाय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

समवाय संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. समूह । झुंड ।

२. न्यायशास्त्र के अनुसार तीन प्रकार के संबंधों में से एक प्रकार का संबंध । न्याय शास्त्रा- नुसार नित्य संबंध । वह संबंध जो अवयवी के साथ अवयव का, गुणी के साथ गुण का अथवा जाति के साथ व्यक्ति का होता है । विशेष—इस प्रकार का संबंध एक प्रकार का धर्म या गुण माना गया है । ऐसा संबंध नष्ट नहीं होता; इसी से इसको नित्य संबध भी कहते हैं । विशेष दे॰ 'संबंध' ।

३. संमिश्रण । संयोग । समष्टि (को॰) ।

४. संख्या । समुच्चय । राशि । (को॰) ।

५. घनिष्ट संबंध वा लगाव । संसक्ति (को॰) । यौ॰—समवाय संबंध=नित्य संबंध ।