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सरमा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सरमा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] देवताओं की एक कुतिया । विशेष— ऋग्वेद में यह ईंद्र की कुतिया और यमराज के चार आँखेंवाले कुत्तों की माता कही गई है । पणि लोग जब इंद्र की या आर्यों की गौएँ चुरा ले गए थे, तब यह उन्हें जाकर ढूँढ लाई थी । महाभारत में इसका उल्लेख देवशुनी के नाम से हुआ है । सरमा देवशुनी ऋग्वेद के एक मंत्र की द्रष्टा भी है ।

२. कुतिया ।

३. कश्यप की एक स्त्री का नाम । (अग्नि पु॰) ।

४. दक्ष की पुत्री का नाम (को॰) ।

५. विभीषण की स्त्री का नाम (को॰) । यौ॰—सरमापुत्र, सरमासुत = सरमात्मज ।