सरस्वती

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सरस्वती

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सरस्वती संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक प्राचीन नदी जो पंजाब में बहती थी और जिसकी क्षीण धारा कुरुक्षेत्र के पास अब भी है ।

२. विद्या या वाणी की देवी । वाग्देवी । भारती । शारदा । विशेष—वेदों में इस नदी का उल्लेख बहुत है और इसके तट का देश बहुत पवित्र माना गया है । पर वहां यह नदी अनिश्चित सी है । बहुत से स्थलों में तो सिंध नदी के लिये ही इसका प्रयोग जान पड़ता है । कुरुक्षेत्र के पास से होकर बहनेवाली मध्यदेशवाली सरस्वती के लिये इस शब्द का प्रयोग थोडी ही जगहों में हुआ है । कुछ विद्वानों का अनुमान है कि पारसियों के आवेस्ता ग्रंथ में अफगानिस्तान कि जिस 'हरख्वैती' नदी का उल्लेख है, वास्तव में वही मूल सरस्वती है । पीछे पंजाब की नदी को यह नाम दिया गया । ऋग्वेद में इस नदी के समुद्र में गिरने का उल्लेख है । पर पीछे की कथाओं में इसकी धारा लुप्त होकर भीतर भीतर प्रयोग में जाकर गंगा से मिलती हुई कही गई है । वेदों में सरस्वती नदीयों की माता कही गई है और उसकी सात बहिनें बताई गई हैं । एक स्थान पर वह स्वर्णमार्ग से बहती हुई और वृत्रासुर का नाश करनेवाली कही गई है । वेद मंत्रों में जहाँ देवता रूप में इसका आह्वान है, वहाँ पूषा, इंद्र और सरुत आदि के साथ इसका संबंध है । कुछ मंत्रों में यह इड़ा और भारती के साथ तीन यज्ञदेवियों में रखी गई है । वाजसनेयी संहिता में कथा है कि सरस्वती ने वाचादेवी के द्वारा इंद्र को शक्ति प्रदान की थी । आगे चलकर ब्राह्मण ग्रंथों में सरस्वती वाग्देवी ही मान ली गई है । पुराणों में सरस्वती देवी ब्रह्मा की पुत्री और स्त्री दोनों कही गई है और उसका वाहन हंस बताया गया है । महाभारत में एक स्थान पर सरस्वती को दक्ष प्रजापति की कन्या लिखा है, लक्ष्मी और सरस्वती देवी का वैर भी प्रसिद्ध है ।

३. विद्या । इल्म ।

४. रागिनी जो शंकराभरण और नट नारायण के योग से उत्पन्न मानी जाती है ।

५. ब्राह्मी बूटी ।

६. मालकँगनी । ज्योतिष्मती लता ।

७. सोमलता ।

८. एक छंद का नाम ।

९. गाय ।

१०. वचन वाणी । शब्द । स्वर (को॰) ।

११. नदी । सरिता (को॰) ।

१२. उत्कृष्ट या श्रेष्ठ स्त्री । सभ्य एवं शिष्ट महिला (को॰) ।

१३. दुर्गा देवी का एक रुप । महासरस्वती (को॰) ।

१४. बौद्धों की एक देवी (को॰) ।

सरस्वती पूजन संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] दे॰ 'सरस्वती पूजा' ।

सरस्वती पूजा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] सरस्वती का उत्सव जो कही वसंत पंचमी को और कहीं आश्विन के नवरात्र में होता है ।