सवारी

विक्षनरी से

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सवारी संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰]

१. किसी चीज पर विशेषत: चलने के लिये चढ़ने की क्रिया ।

२. वह चीज जिसपर यात्रा आदि के लिये चढ़ते हों । सवार होने की वस्तु । चढ़ने की चीज । जैसे, —— घोड़ा, हाथी, मोटर, रेल आदि । मुहा॰— सवारी लेना = सवारी के काम में लाना । सवार होना

३. वह व्यक्ति जो सवार हो । जैसे — एक्केवाले चार आने की सवारी माँगते हैं ।

४. जलुस । जेसे, — राजा साहब की सवारी बहुत धूम से निकली थी ।

५. कुश्ती में अपने विपक्षी को जमीन पर गिराकर उसकी पीठ पर बैठना और उसी दशा में उसे चित करने का प्रयत्न । क्रि॰ प्र॰ — कसना ।

६. संभोग या प्रसंग के लिये लिये स्त्री पर चढ़ने की क्रिया । (बाजारु) । क्रि॰ प्र॰— कसना ।-गाँठना ।