साँई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

साँई संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्वामी,प्रा॰ सामि, सामी]

१. स्वामी । मालिक । उ॰—आप को साफ कर तुही साँई ।—केशव॰ अमी॰, पृ॰ ९ ।

२. ईश्वर । परमात्मा । परमेश्वर । उ॰— गुर गौरीस साँई सीतापति हित हनुमानहिं जाई कै । मिलिहौं मोहि कहाँ की वे अब अभिमत अवधि अघाई कै ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. पति । शौहर । भर्ता । उ॰—(क) चल्यो धाय कमठी चढ़ाय फुरकाय आँख बाईं जग साँईं बात कछु न तनक को ।—हृदयराम (शब्द॰) । (ख) पूस मास सुनि सखिन पै साँईं चलत सवार । गहि कर बीन प्रबीन तिय राग्यौ राग मलार ।—बिहारी (शब्द॰) ।

४. मुसलमान फकीरों की एक उपाधि ।