साँटा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]साँटा संज्ञा पुं॰ [हिं॰साँट ( =छड़ी)]
१. करघे के आगे लगा हुआ वह डंडा जिसे ऊपर नीचे करने से ताने के तार ऊपर नीचे होते हैं ।
२. कोड़ा ।
३. ऐंड़ ।
४. ईख । गन्ना । उ॰— राजा के दर्शनों को चलने के समय ब्राह्मण ने साँठे के टुकड़ों को नहीं देखा ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ ३, पृ॰ ३० ।
५. प्रतिकार । बदला । उ॰—यह साँटो लै कृष्णावतार । तब ह्वैहौ तुम संसार पार ।—राम चं॰, पृ॰ ८६ ।