साँवर

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

साँवर ^१ वि॰ [सं॰ श्यामल] [वि॰ स्त्री॰ साँवरि या साँवरी] दे॰ 'साँवला' । उ॰—काहे राम जिउ साँवर लछिमन गोर हो । कीदँह रानि कौसिलहि परिगा भोर हो ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ५ ।

२. सलोना । सुंदर । उ॰—सखि रोके साँवर लाल, घन घेरयौ मनो दामिनी ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰३८५

साँवर पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ साम्भल, साम्भल] दे॰ 'साँबर', 'साँभर' । उ॰—जाँवत अहै सकल ओरगाना । साँवर लेहु दुरि है जाना ।—जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ २०६ ।