साँवर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]साँवर ^१ वि॰ [सं॰ श्यामल] [वि॰ स्त्री॰ साँवरि या साँवरी] दे॰ 'साँवला' । उ॰—काहे राम जिउ साँवर लछिमन गोर हो । कीदँह रानि कौसिलहि परिगा भोर हो ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ५ ।
२. सलोना । सुंदर । उ॰—सखि रोके साँवर लाल, घन घेरयौ मनो दामिनी ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰३८५
साँवर पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ साम्भल, साम्भल] दे॰ 'साँबर', 'साँभर' । उ॰—जाँवत अहै सकल ओरगाना । साँवर लेहु दुरि है जाना ।—जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ २०६ ।