साजना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]साजना पु † ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ सज्जा]
१. दे॰ 'सजाना' । उ॰— (क) चढ़ा असाढ़ गगन घन गाजा । साजी बिरह दुंद दल बाजा—जायसी (श्बद॰) । (ख) बेल ताल जुग हेम कलस गिरि कटोरि जिनिआ कुच साजा ।—विद्यापति, पृ॰ ७१ ।
२. सजाना । तैयार करना ।
३. छोटे बड़े पानों को उनके आकार के अनुसार आगे पीछे या ऊपर नीचे रखना । (तमोली) ।
साजना पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सज्जन] दे॰ 'साजन' । उ॰—मिलहिं जो बिछुरै साजना गहि गहि भेंट गहंत । तपनि मिरगिसिरा जे सहहिं अद्रा ते पलुहत ।—जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ ३५४ ।
साजना पु ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ सजाना] सजावट । साज । सज्जा । उ॰—कीन्हेसि सहस अठारह बरन बरन उपराजि । भुगुति दिहेसि पुनि सबन कहँ सकल साजना साजि ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ २ ।