साथिया पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्वस्तिक] दे॰ 'सथिया' । उ॰—(क) साथिये बनाइ कै देहि द्वारे सात सीक बनाय ।—सूर (शब्द॰) । (ख) मंगल सदन चारि साथिये इन तरें जुत जंदु फल चारि तकि सुख करौं हौं ।—घनानंद, पृ॰ ३५२ ।