साधना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]साधना ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. कोई कार्य सिद्ध या संपन्न करने की क्रिया । सिद्धि ।
२. किसी देवता या यंत्र आदि को सिद्ध करने के लिये उसकी आराधना या उपासना करना ।
३. दे॰ 'साधन' ।
साधना ^२ क्रि॰ स॰ [सं॰ साधन]
१. (कोई कार्य) सिद्ध करना । पूरा करना । उ॰—आसन साधि पवन पुनि पीवै । कोटि बरस लगि काहिं न जीवै ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ३३७ ।
२. निशाना लगाना । संधान करना । जैसे,—लक्ष्य साधना ।
३. नापना । पैमाइश करना । जैसे,—लकड़ी साधना, टोपी साधना ।
४. अभ्यास करना । आदत डालना । स्वभाव डालना । जैसे,—योग साधना, तप साधना । उ॰—जब लगि पीउ मिले तुहि साधि प्रेम की पीर । जैसे सीप स्वाति कहँ तपै समुँद मँझ नीर ।—जायसी (शब्द॰) ।
५. शोधना । शुद्ध करना ।
६. सच्चा प्रमाणित करना ।
७. पक्का करना । ठहराना ।
८. एकत्र करना । इकट्ठा करना । उ॰—वैदिक विधान अनेक लौकिक आचरन सुनि जान कै । बलिदान पूजा मूल कामनि साधि राखी आनि कै ।—तुलसी (शब्द॰) ।
९. अपनी ओर मिलाना या काबू में करना । वश में करना । उ॰—गाधिराज को पुत्र साधि सब मित्र शत्रु बल ।—केशव (शब्द॰) ।