सानना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सानना † ^१ क्रि॰ स॰ [हिं॰ सनना का सक॰ रूप]
१. दो वस्तुओं को आपस में मिलाना; विशेषत: चूर्ण आदि को तरल पदार्थ में मिलाकर गीला करना । गूँधना । जैसे,—आटा सानना ।
२. संमिलित करना । शामिल करना । उत्तरदायी बनाना । जैसे,—आप मुझे तो व्यर्थ ही इस मामले में सानते हैं ।
३. मिलाना । लपेटना । मिश्रित करना । संयुक्त करना । जैसे,—तुमने अपने दोनों हाथ मिट्टी में सान लिए । उ॰—यह सुनि धावत धरनि चरन की प्रतिमा खगी पंथ में पाई । नैन नीर रघुनाथ सानिकै शिव सो गात चढ़ाई ।—सूर (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰— डालना ।—देना ।—लेना ।
सानना † ^२ क्रि॰ स॰ [हिं॰ सान + ना (प्रत्य॰)] सानपर चढा़कर धार तेज करना । (क्व॰) ।