सानी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सानी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ सानना]
१. वह भोजन जो पानी में सानकर पशुओं को खिलाया जाता है । विशेष—नाद में भूसा भिगो देते है और उसमें खली, दाना, नमक आदि छोड़कर उसे पशुओं को खिलाते हैं । इसी को सानी कहते हैं ।
२. अनुचित रीति से एक में मिलाए हुए कई प्रकार के खाद्यपदार्थ । (व्यंग्य) ।
३. गाड़ी के पहिए में लगाने की गिट्टक ।
सानी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ शण या शाणा, शाणी (= सन का वस्त्र) प्रा॰ साणी] दे॰ 'सनई' ।
सानी ^३ वि॰ [अ॰]
१. दूसरा । द्वितीय । जैसे,—औरंगजेब सानी ।
२. बराबरी का । समानता रखनेवाला । मुकाबले का । जैसे,— इन बातों में तो तुम्हारा सानी और कोई नहीं है । उ॰—बले अब तुँ ओ शै के सानी नहीं । जो देऊँ अतिया अब सो तेरे तईं ।—दक्खिनी॰, पृ॰ २३६ । यौ॰—ला सानी = जिसके समान और कोई न हो । अद्वितीय ।