सायर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सायर † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सागर, प्रा॰ सायर]
१. सागर । समुद्र । उ॰—(क) सायर मद्धि सुठाम करन त्रिभुवन तन अंजुल ।—पृ॰ रा॰, २ ।९२ । (ख) जहँ लग चंदन मलय गिरी औ सायर सब नीर । सब मिलि आय बुझावहिं बुझै न आग सरीर ।— जायसी (शब्द॰) ।
२. ऊपरी भाग । शीर्ष ।
सायर ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰]
१. वह भूमि जिसकी आय पर कर नहीं लगता ।
२. मृतफर्रकात । फुटकर ।
सायर ^३ वि॰
१. घुमक्कड़ । सैर करनेवाला । घूमनेवाला ।
२. जो नियत या स्थिर न हो । अस्थायी । अनियत [को॰] ।
सायर † ^४ संज्ञा पुं॰ [देश॰]
१. वह पटरा जिससे खेत की मिट्टी बराबर करते हैं । हेंगा ।
२. एक देवता जो चौपायों का रक्षक माना जाता है ।
सायर † ^५ संज्ञा पुं॰ [अ॰ शाइर, शायर] कवि । कविता करनेवाला । दे॰ 'शायर' ।