सारा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सारा ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. काली निसोथ । कृष्णात्रिवृत्त ।
२. दूब । दूर्वा ।
३. शातला ।
४. थूहर ।
५. केला ।
६. कुश । कुशा (को॰) ।
७. तालिसपत्र ।
सारा ^२ संज्ञा पुं॰
१. एक प्रकार का अलंकार जिसमें एक वस्तु दूसरी से बढ़कर कही जाती है । जैसे,—ऊखहुते मधुर पियूषहु ते मधुर प्यारी तेरे ओठ मधुरता को सागर है ।
सारा † ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्यालक] दे॰ 'साला' ।
सारा ^४ वि॰ [सं॰ सर्व] [वि॰ स्त्री॰ सारी] समस्त । संपूर्ण । समूचा । पूरा । उ॰—के है पाकदामन तु नरियाँ में आज । बड़ाई बडी तुज है सारियाँ में आज ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ८४ ।
सारा † ^५ संज्ञा पुं॰ [हि॰ ओसारा] दे॰ 'ओसारा' । उ॰—जब सारे में धूप फैल जाए कहीं आँख खुले ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३६८ ।