सालम

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सालम मिश्री संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ सालव + मिस्त्री (मिश्र देश का)] सुधामूली । अमृतोत्य़ा । वीरकंदा । विशेष—यह एक प्रकार का क्षुप है जिसकी ऊँचाई पार्य: डेढ़ फुट तक होती है । इसके पत्ते प्याज के पत्ते के समान और फैले हुए होते हैं । डंडी के अंत में फूलों का गुच्छा होता है । फल पीले रंग के होते हैं । इसका कंद कसेरु के समान पर चिपटा, सफेद और पीले रंग का तथा कड़ा होता है । इसमें वीर्थ के समान गंध आती है और यह खाने में लसीला और फीका होता है । इसके पौधे भारत के कितने ही प्रांतों में होते हैं, पर काबुल, बलख, बुखारा आदि देशों की सालम मिश्री अच्छी होती है । इसका कंद अत्यंत पौष्टिक होता है और पुष्टिकर ओषधियों में इसका विशेष प्रयोग होता है । वैद्यक के अनुसार यह स्निग्ध, उष्ण, वाजीकरण, शुक्रजनक, पुष्टिकर और अग्नि- प्रदीपक माना जाता है ।