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सावित्री

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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सावित्री संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. वेदमाता गायत्री ।

२. सरस्वती ।

३. ब्रह्मा की पत्नी जो सूर्य की पृश्नि नाम की पत्नी से उत्पत्र हुई थी ।

४. वह संस्कार जो उपनयन के समय होता है और जिसके न होने से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य व्रात्य या पतित हो जाते है ।

५. धर्म कीपत्नी और दक्ष की कन्या ।

६. कश्यप चकी पत्नी ।

७. अष्टावक्र की कन्या ।

८. मद्र देश के राजा अश्वपति की कन्या और सत्यवान की सती पत्नी का नाम । विशेष—पुराणों में इसकी कथा यों है । मद्र देश के धर्मनिष्ठ प्रजाप्रिय राजा अश्वपति ने कोई संतान न होने के कारण ब्रह्मचर्यपूर्वक कठिन व्रत धारण किया । वह सावित्री मंत्र से प्रतिदिन एक लाख आहुति देकर दिन के छठे भाग में भोजन करता था । इस प्रकार अठारह वर्ष बीतने पर सावित्री देवी ने प्रसन्न होकर राजा को दर्शन दिए और इच्छानुसार व र माँगने को कहा । राजा ने बहुत से पुत्रों की कामना की । देवी ने कहा कि ब्रह्मा की कृपा से तुम्हारे एक कन्या होगी जो बड़ी तेजस्विनी होगी । कुछ दिनों बाद बड़ी रानी के गर्भ से एक कन्या हुई । सावित्री की कृपा से वह कन्या हुई थी, इसलिये राजा ने इसका नाम भी सावित्री ही रखा । सावित्री अद्वितीय सुंदरी थी, पर किसी को इसका वरप्रार्थीं होते न देखकर अश्वपति ने सावित्री से स्वयं अपनी इच्छानुसार वर ढूँढकर वरण करने को कहा । तदनुसार सावित्री वृद्ध मंत्रियों के साथ तपोवन में भ्रमण करने लगी । कुछ दिनों बाद वह तीर्थों और तपोवनों का भ्रमण कर लौट आई और उसने अपने पिता से शाल्व देश में ध्युमत्सेन नामक एक प्रसिद्ध धर्मात्मा क्षत्रिय राजा थे । वे अंधे हो गए हैं । उनका एक पुत्र है जिसका नाम सत्यवान् है । एक शत्रु ने उनका राज्य हस्तगत कर लिया है । राजा अपनी पत्नी और पुत्रसहित बन में निवास कर रहे हैं । मैंने उन्हीं सत्यवान् को अपने उपयुक्त वर समझकर उन्हीं को पति वरण किया है । नारदजी ने कहा— सत्यवान में और सब गुण तो हैं, पर वह अल्पायु है । आज से एक वर्ष पूरा होते ही वह मर जायागा । इसपर भी सावित्री ने सत्यवान् से ही विवाह करना निश्चित किया । विवाह हो गया, एक वर्ष बीतने पर सत्यवान् को मृत्यु हो गई यमराज जब उसका सूक्ष्म शरीर ले चला, तब सावित्री ने उसका पीछा किया । यमराज ने उसे बहुत समझा बुझाकर लौटाना चाहा, पर उसने उसका पीछा न छोड़ा । अंत में यमराज ने प्रसत्र होकर उसकी मनस्कामना पूर्ण की । मृत सत्यवान् जीवित होकर उठ बैठा । सावित्री ने मन ही मन जो कामनाएँ की थीं, वे पूरी हुई । राजा द्युमत्सेन को पुन: दृष्टी प्राप्त गई । उसके शत्रुओं का विनाश हुआ । सावित्री के सौ पुत्र हुए । साथ ही उसके वृद्ध ससुर के भी सौ पुत्र हुए । उसने यह भी वर प्राप्त कर लिया था कि पति के साथ मैं बैकुंठ जाऊँ ।

९. यमुना नदी ।

१०. सरस्वती नदी ।

११. प्लक्ष द्वीप की एक नदी ।

१२. धार के राजा भोज की स्त्री ।

१३. सधवा स्त्री ।

१४. आँवला ।

१५. प्रकाश की किरण (को॰) ।

१६. पार्वती का एक नाम (को॰) ।

१७. सूर्य की रश्मि (को॰) ।

१८. अनामिका उँगली (को॰) ।

सावित्री तीर्थ संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्राचीन तीर्थ का नाम ।

सावित्री व्रत संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्रकार का व्रत जो स्त्रियाँ पति की दीर्घायु की कामना से ज्येष्ठ कृष्णा १४ करती हैं । विशेष—कहते हैं कि यह व्रत करने से स्त्रियाँ विधवा नहीं होतीं ।