साहित्य
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]साहित्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एकत्र होना । मिलना । मिलन ।
२. वाक्य में पदों का एक प्रकार का संबंध जिसमें वे परस्पर अपेक्षित होते है और उनका एक ही क्रिया से अन्वय होता है ।
३. किसी एक स्थान पर एकत्र किए हुए लिखित उपदेश, परामर्श या विचार आदि । लिपिबद्ध विचार या ज्ञान ।
४. अलंकार शास्त्र । रीतिशास्त्र । काव्यकला । काव्यशास्त्र आदि ।
५. गद्य और पद्य सब प्रकार के उन ग्रंथों का समूह जिनमें सार्वजनिक हित संबंधी स्थायी विचार रक्षित रहते हैं । वे समस्त पुस्तकें जिनमें नैचिक सत्य और मानव भाव बुद्धिमत्त् तथा व्यापकता से प्रकट किए गए हों । बाङ्मय । विशेष—इस अर्थ में यह शब्द बहुत अधिक व्यापर रुप में भी बोला जाता है (जैसे, — समस्त संसार का साहित्य); और देश काल, भआषा या विषय आदि के विचार से परिमित रुप में भी (जैसे, — हिंदी साहित्य, वैज्ञानिक साहित्य, बिहारी का साहित्य आदि) ।
६. संगति । सामंजस्य । तालमेल (को॰) ।
७. किसी वस्तु के उत्पादन या किसी कार्य की संपत्रता के लिए सामग्री का संग्रह (को॰) ।