सिखी संज्ञा पुं॰ [सं॰ शिखिन्] दे॰ 'शिखी' । उ॰—(क) धुनि सुनि उतै लिखो नाचौ, सिखी नाचै इते, पी करैं पपीहा उतै इते प्यारी सी करे ।—प्रतापनारायण (शब्द॰) । (ख) सिखी सिखर तनु धातु बिराजति सुमन सुगंध प्रवाल ।—सूर (शब्द॰) ।