सितार

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सितार संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰; या सं॰ सप्त + तार, फ़ा॰ सेहतार] एक प्रकार का प्रसिद्ध बाजा जिसमें सात तार होते हैं और जो लगे हुए तारों को उँगली से झनकारने से बजता है । एक प्रकार की वीणा । विशेष—यह काठ की दो ढाई हाथ लंबी और चार पाँच अंगुल चौड़ी पोली पटरी के एक छोर पर गोल कद्दू की तुंबी जड़कर बनाया जाता है । इसका ऊपर का भाग समतल और चिपटा होता है और नीचे का गोल । समतल भाग पर पर्दे बँधे रहते हैं जो सप्तक के स्वरों को व्यक्त करते हैं । इनके ऊपर तीन से लेकर सात तार लंबाई के बल में बँधे रहते हैं । इन तारों को कोण द्वारा झनकारने से यह बजता है ।