सीमत

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सीमत संज्ञा पुं॰ [सं॰ सीमन्त]

१. स्त्रियों की माँग ।

२. अस्थि- संघात । हडि्डयों का संधिस्थान । हडि्डयों का जोड़ । विशेष—सुश्रुत के अनुसार इनकी संख्या १४ है । यथा—जाँघ में १, वंक्षण अर्थात् मूत्राशय तथा जंघा के संधिस्थान में १, पैर में

३. दोनों बाहों में ३-३, त्रिक या रीढ़ के नीचे के भाग मे

१. और मस्तक में १ । भावप्रकाश के अनुसार हडि्डयों का संधिस्थान सीया रहता है; इसलिये इसे 'सीमंत' कहते हैं ।

३. हिंदुओं में एक संस्कार जो प्रथम गर्भस्थिति के चौथे, छटे या आठवें महीने में किया जाता है । दे॰ 'सीमंतोन्नयन' ।