सुई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सुई संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सूची] दे॰ 'सूई' ।

सुई संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सूची]

१. पक्के लोहे का छोटा पतला तार जिसके एक छोर में बहुत बारीक छेद होता है और दूसरे छोर पर तेज नोक होती है । छेद में तागा पिरोकर इससे कपड़ा सिया जाता है । सूची । यौ॰—सूई तागा । सूई डोरा । सूई का काम=सूई से बनाई हुई कारीगरी जो कपड़ों पर होती है । सूई का रोका=सूई का छेद । क्रि॰ प्र॰—पिरोना ।—सीना । मुहा॰—सूई का फावड़ा बनाना=जरा सी बात को बहुत बड़ा बनाना । बात का बतंगड़ करना । सूई का भाला बनाना= दे॰ 'सुई का फावड़ा बनाना' । उ॰—जो लोग प्रिंस हुमायूँ फर के खिलाफ थे उन्होंने सूई का भाला और तिनके का झंडा बनाया । —फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३०६ ।

२. पिन ।

३. महीन तार का काँटा । तार या लोहे का काँटा जिससे कोई बात सूचित होती है । जैसे,—घड़ी की सूई, तराजु की सूई ।

४. अनाज, कपास आदि का अँखुआ ।

५. सूई के आकार का एक पतला तार जिससे गोदना गोदा जाता है ।

६. सूई के आकार का एक तार जिससे पगड़ी की चुनन बैठाते हैं ।