सुधानिधि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सुधानिधि संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. चंद्रमा । उ॰—मनहुँ सुधानिधि वर्षत घन पर अमृत धार चहुँ ओर ।—सूर (शब्द॰) ।

२. समुद्र । उ॰—श्रीरामानंद उदार सुधानिधि अवनि कल्पतरु ।—नाभा- दास (शब्द॰) ।

३. कपूर (को॰) ।

४. दंडक वृत्त का एक भेद, जिसमें ३२ वर्ण होते हैं और

१६. बार क्रम से गुरु लघु आते हैं ।

सुधानिधि रस संज्ञा पुं॰ [सं॰] वैद्यक में एक प्रकार का रस जो पारे, गंधक, सोनामक्खी और लोहै आदि के योग से बनता है । इसका व्यवहार रक्तपित्त में किया जाता है ।