सुनवाई संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ सुनना+वाई (प्रत्य॰)] १. सुनने की क्रिया या भाव । २. मुकदमे आदि का पेश होकर सुना जाना । ३. किसी शिकायत, फरियाद आदि का सुना जान । जैसे, तुम लाख चिल्लाया करो; वहाँ कुछ सुनवाई ही नहीं होगी ।