सुन्न

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सुन्न ^१ वि॰ [सं॰ शून्य, प्रा॰ सुन्न] निर्जीव । स्पंदनहीन । निस्तब्ध । जड़वत् । निश्चेष्ट । निश्चल । जैसे,—ठंढ के मारे उसके हाथ पैर सुन्न हो गए । उ॰—(क) यह बात सुनकर भाग्यवती सुन्न सी हो गई ।—श्रद्धाराम (शब्द॰) । (ख) तहाँ लगी विरहाग ि नाहिं क्यों चलि कै पेखत । सुकवि सुन्न ह्वै जाय न प्यारी देखत देखत ।—अंबिकादत (शब्द॰) । (ग) निरखि कंस की छाती धड़की । सुन्न समान भई गति धड़की ।—गिरधर (शब्द॰) ।

सुन्न ^२ संज्ञा पुं॰ शून्य । सिफर । उ॰—(क) यथा सुन्न दस गुन्न बिन अंक गने नहिं जात ।—श्रद्धाराम (शब्द॰) । (ख) अगनित बढ़त उदोत लखउ इक बेंदी दीने । कह्मो सुन्न को ऐसों गुन को गनित नवीने ।—अंबिकादत्त (शब्द॰) ।

सुन्न ^३ वि॰ दे॰ 'सुन्नसान', 'सुनसान' ।