सुपत पु वि॰ [सं॰ सु + हिं॰ पत (=प्रतिष्ठा)] प्रतिष्ठायुक्त । मानयुक्त । उ॰—वह जूठो शशि जानि वदन विधु रच्यो विरंचि इहै री । सौंप्यो सुपत विचारि श्याम हित सु तूँ रही लटि लैरी ।—सूर (शब्द॰) ।