सुरमा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सुरमा ^१ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ सुरमह्] एक प्रकार का प्रसिद्ध खनिज पदार्थ जो प्रायः नीले रंग का होता है और जिसका महीन चूर्ण स्त्रियाँ आँखों में लगाती हैं । विशेष— यह फारस में लहौल, पंजाब में झेलम तथा बरमा में टेनासरिम नामक स्थान पर पाया जाता है । यह बहुत भारी, चमकीला और भुरभुरा होता है । इसका व्यवहार कुछ औषधों और कुछ धातुओं को द्दढ़ करने में होता है । प्राय: छापे के सीसे के अक्षरों में उन्हें मजबूत करने के लिये इसका मेल दिया जाता है । आजकल बाजारों में जो सुरमा मिलता हैं, वह प्रायः काबुल और बुखारे के गलोना नामक धातु का चूर्ण होता है । यौ॰— सुरमा सुलेमानी= सुलेमान का सुरमा । वह सुरमा जिसे लगाने पर निधियाँ दिखाई पड़ें । सुरमे का डोरा = आँखों में लगी हुई सुरमें की रेखा । सुरमे की कलम=पेंसिल ।
२. आँखों में लगाने की सूखी और पीसी हुई दवा । रसा- जन (को॰) । क्रि॰ प्र॰ — देना ।— लगाना । यौ॰— सफेद सुरमा = दे॰ 'सुरमा सफेद' ।
सुरमा ^२ वि॰ अत्यंत बारीक पीसा हुआ ।
सुरमा ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का पक्षी । वि॰ दे॰ 'सूरमा' ।
सुरमा ^४ संज्ञा स्त्री॰ एक नदी जो आसाम के सिलह्ट जिले में बहती है ।
सुरमा सुफेद संज्ञा पुं॰ [फ़ा]
१. एक प्रकार का खनिज पदार्थ जो 'जिपसम' नाम से प्रसिद्ध है । विशेष—इसका रंग पीलापन लिए सफेद होता है । इससे 'पेरिस प्लास्टर' बनाया जा सकता है जिससे एलक्ट्रो टाइप और रबड़ की मोहर के साँचे बनाए जाते हैं । यह मुख्यतः शीशे और धातु की चीजें जोड़ने के काम में आता है ।
२. एक खनिज पदार्थ जो फिटकरी के समान होता है और काबुल के पाहाड़ों पर पाया जाता है । आँखों की जलन, प्रमेह, आदि रोगों में इसका प्रयोग होता है ।