सुरसा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सुरसा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक प्रसिद्ध नागमाता जो समुद्र में रहती थी और जिसने हनुमान् जी को समुद्र पार करने के समय रोका था । विशेष—जिस समय हनुमान् जी सीता जी की खोज में लंका जा रहे थे, उस समय देवताओं ने सुरसा से, जो समुद्र में रहती थी, कहा कि तुम विकराल राक्षस का रूप धारण कर उनको रोको । इससे उनकी बुद्धि और बल का पता लग जायगा । तदनुसार सुरसा ने विकराल रूप धारण कर हनुमान् जी को रोककर कहा कि मैं तुम्हें खाऊँगी । यह कहकर उसने मुँह फैलाया । हनुमान् जी ने उससे कहा कि जानकी जी की खबर राम जी को देकर मैं तुम्हारे पास आऊँगा । सुरसा ने कहा ऐसा नहीं हो सकता । पहले तुम्हें मेरे मुँह में प्रवेश करना होगा, क्योंकि मुझे ऐसा वर मिला है कि सबको मेरे मुँह में प्रवेश करना पड़ेगा । यह कह वह मुँह फैलाकर हुनुमान् जी के सामने आई । हनुमान् जी ने अपना शरीर उससे भी अधिक बढ़ाया । ज्यों ज्यो ं सुरसा अपना मुँह बढ़ाती गई, त्यों त्यों हनुमान् जी भी अपना शरीर बढ़ाते गए । अंत में हनुमान् जी ने बहुत छोटा रूप धारण करके उसके मुँह में प्रवेश किया और बाहर निकल कर कहा देवि, अब तो तुम्हारा वर सफल हो गया । इसपर सुरसा ने हनुमान् जी को आशीर्वाद दिया और उनकी सफलता की कामना की । (रामायण) ।

२. एक अप्सरा का नाम ।

३. एक राक्षसी का नाम ।

४. तुलसी ।

५. रासन । रास्ना ।

६. सौंफ । मिश्रेया ।

७. ब्राह्मी ।

८. बड़ी शतावर । सतावर ।

९. जूही । श्वेत यूथिका ।

१०. सफेद निसोथ । स्वेत त्रिवृत्ता ।

११. सलई । शल्लकी ।

१२. नील सिंधुवार । निर्गुंडी ।

१३. कटाई । बनभंटा । बृहती । वार्ताकी ।

१४. भटकटैया । कटेरी । कंटकारी ।

१५. एक प्रकार की रागिनी ।

१६. दुर्गा का एक नाम ।

१७. रुद्राश्व की एक पुत्री का नाम ।

१८. पुराणनुसार एक नदी का नाम ।

१९. अंकुश के नीचे का नुकीला भाग ।

२०. बोल नामक एक गंधद्रव्य (को॰) ।

१९. एक वृत्त का नाम ।