सुहागा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सुहागा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सुभग] एक प्रकार का क्षार जो गरम गंधकी स्रोतों से निकलता है । कनकक्षार । टंकण । विशेष—यह तिब्बत, लद्दाख और कश्मीर में बहुत मिलता है । यह छींट छापने, सोना गलाने तथा ओषधि के काम में आता है । इसे घाव पर छिड़कने से घाव भर जाता है । मीना इसी का किया जाता है और चीनी के बर्तनों पर इसी से चमक दी जाती है । वैद्यक के अनुसार यह कटु, उष्ण तथा कफ, विष, खाँसी और श्वास को हरनेवाला है । पर्या॰—लोहद्रावी । टंकण । सुभग । स्वर्णपाचक । रसशोधन । कनकक्षार आदि ।
सुहागा † ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ समभाग]
१. हेंगा ।
२. दे॰ 'सोहागा' ।