सूजी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सूजी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ शुचि (=शुद्ध) या सं॰ सूची (=सूई सा महीन)] गेहूँ का दरदरा आटा जो हलुआ, लड्डू तथा दूसरे पकवान बनाने के काम में आता है ।

सूजी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सूची]

१. सूई । उ॰—ता दिन सों नेह भरे, नित मेरे गेह आइ गुथन न देत कहै मैं ही देऊँगी बनाय । बर- ज्यो न मानै केहू मोहि लागै डर यही कमल से कर कहूँ सूजी मति गड़ि जाय । —काव्यकलाप (शब्द॰) ।

२. वह सूआ जिससे गड़ेरिए लोग कंबल की पट्टियाँ सीते हैँ ।

सूजी ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सूची] कपड़ा सीनेवाला । दरजी । सूचिक । उ॰—एक सूजी ने आप दडंवत कर खड़े होकर जोड़ के कहा, महाराज ! दया कर कहिए तो बागे पहराऊँ । —लल्ल (शब्द॰) ।

सूजी ^४ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार का सरेस जो माँड़ और चूने के मेल से बनता है और बाजों के पुर्जे जोड़ने के काम में आता है ।