सूली

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सूली ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ शूल]

१. प्राणादंड देने की एक प्राचीन प्रथा जिसमें दंडित मनुष्य एक नुकीले लोहे के डंडे पर बैठा दिया जाता था और उसके ऊपर मुँगरा मारा जाता था ।

२. फाँसी । क्रि॰ प्र॰—चढ़ना ।—चढ़ाना ।—देना ।—पाना ।—मिलना ।

३. एक प्रकार का नरम लोहा जिसकी छड़ें बनती हैं ।— (लुहार) ।

सूली ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] दक्षिण दिशा । (लश॰) ।

सूली पु ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शूलिन्] महादेव । शिव । उ॰—चंदन की वर चौकी पै बैठि जु न्हाई जुन्हाई सी जोति समूली । अंबर के धर अंबर पूजि वरंवर देव दिगंबर सूली ।—देव (शब्द॰) ।