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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]से ^१ प्रत्य॰ [प्रा॰ सुंतो, पु॰ हिं॰ सेंति] करण और अपादान कारक का चिह्न । तृतीया और पंचमी की विभक्ति । जैसे—(क) मैंने अपनी आँखों से देखा । (ख) पेड़ से फल गिरा । (ग) वह तुमसे बढ़ जायगा ।
से ^२ वि॰ [हिं॰ 'सा' का बहुवचन] समान । सदृश । सम । जैसे,— इसमें अनार से फल लगते हैं । उ॰—नासिका सरोज गंधवाह से सुगंधवाह, दारयो से दसन, कैसे बीजुरो सो हास है ।— केशव (शब्द॰) ।
से पु ^३ सर्व॰ [हिं॰ 'सो' का बहुवचन] वे । उ॰—अवलोकिहौं सोच विमोचन को ठगि सी रही, जो न ठगे धिक से ।—तुलसी (शब्द॰) ।
से ^४ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. सेवा । खिदमत । चाकरी ।
२. कामदेव की पत्नी का नाम ।
से ‡ ^५ वि॰ [फा़॰ सेह] तीन । उ॰—उन्हें से चहार दिन हो जजबे बहोश । आपस के जात कूँकर कर फरामोश ।—दक्खिनी॰, पृ॰ १९६ ।