सामग्री पर जाएँ

सेक

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

सेक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. जलसिंचन । सिंचाव ।

२. जलप्रक्षेप । सेचन । छिड़काव । छींटा । मार्जन । तर करना । उ॰— और जु अनुसयना कही, तिनके बिमल बिबेक । बरनत कवि मतिराम यह रस सिंगार को सेक ।—मतिराम ग्रं॰, पृ॰ २८६ ।

३. अभिषेक । उ॰—बोली ना नवेली कछू बोल सतराय वह, मनसिज ओज को सुहानौं कछु सेक है ।—मतिराम ग्रं॰, पृ॰ ३३७ ।

४. तैल सेचन या मर्दन । तेल लगाना या मलना । (वैद्यक) ।

५. एक प्राचीन जाति का नाम ।

६. (वीर्य का) पतन या स्त्राव (को॰) ।

७. स्नान करने का फुहारा (को॰) ।

८. किसी भी द्रव पदार्थ की बूँद (को॰) ।