सेत

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सेत † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सेतु] दे॰ 'सेतु' । उ॰—(क) सिला तरैं जल बीच सेत में कटक उतारी ।—पलटू॰, पृ॰ ८ । (ख) काज कियो नहिं समै पर पछतानै फिरि काह । सूखी सरिता सेत ज्यौ जोबन बितै बिवाह ।—दीनदयाल (शब्द॰) ।

सेत पु ^२ वि॰ [सं॰ श्वेत, प्रा॰ सेअ; अप॰ सेत्त] दे॰ 'स्वेत' । उ॰—पैन्ह सेत सारी बैठी फानुस के पास प्यारी, कहत बिहारी प्राणप्यारी धौं कितै गई ।—दूलह (शब्द॰) ।

सेत पु ^३ वि॰ [सं॰ श्वेत, प्रा॰ सेत]

१. स्पष्ट । साफ । उ॰—ज्याँरी जीभ न ऊपड़े सेणाँ माँही सेत ।—बाँकी ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ १७ ।

२. कीर्ति । यश । मर्यादा । उ॰—सबें सेत- बंधी रहे सेत मुक्के । गयौ हब्बसी रोम साध्रंम चुक्के ।— पृ॰ रा॰, २४ ।२५७ । यौ॰—सेतबंधी = कीर्तिवाले । यशस्वी ।

सेत † संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्वेद, प्रा॰ सेअ, सेद]दे॰ 'स्वेद' ।