सेवकी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सेवकी पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सेवक + ई (प्रत्य॰)]
१. सेवावृत्ति । सेवकता । सेवक धर्म । उ॰—ताके पास तीन तूँबा, काँधे पर तो खासा कौ, पीछे पीठ पर तो मर्यादी सेवकी कौ, आगे कटि पर बाहिर कौ, या भाँति सों रहै आवें ।—दो सौ बावन॰, भा॰ २, पृ॰ ४३ ।
२. दासी । सेविका । टहलुई । उ॰—(क) दायज बसन मनि धेनु धन हय गय सुसेवक सेवकी ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) सेवकी सदा की वारबधू दस बीस आई ए हो रघुनाथ छकीं बारूनी अमल सों ।—रघुनाथ (शब्द॰) ।