सेवा
Akasshsoni
Seva
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सेवा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. दूसरे को आराम पहुँचाने की क्रिया । खिदमत । टहल । परिचर्या । जैसे—हमारी बीमारी में इसने बड़ी सेवा की । यौ॰—सेवा शुश्रुषा । सेवा टहल ।
२. दूसरे का काम करना । नौकरी । चाकरी । विशेष—राज्य की सेवा के अतिरिक्त और प्रकार की सेवावृत्ति अधम कही गई है ।
३. आराधना । उपासना । पूजा । जैसे—ठाकुर जी की सेवा । मुहा॰—सेवा में = पास । समीप । सामने । जैसे—(क) मैं कल आपकी सेवा में उपस्थित हूँगा । (ख) मैंने आपकी सेवा में एक पत्र भेजा था । (आदरार्थ प्रायः बड़ों के लिये) ।
४. आश्रय । शरण । जैसे,—आप मुझे अपनी सेवा में ले लेते तो बहुत अच्छा था ।
५. रक्षा । हिफाजत जैसे,—(क) सेवा बिना ये पौधे सूख गए । (ख) वे अपने शरीर की बड़ी सेवा करते हैं । उ॰—वे अपने बालों की बड़ी सेवा करती हैं ।—महावीर- प्रसाद द्विवेदी (शब्द॰) ।
६. संप्रयोग । संभोग । मैथुन । जैसे,—स्त्रीसेवा ।
७. प्रयोग । व्यवहार (को॰) ।
८. लगाव । आसक्ति (को॰) ।
९. चापलूसी । चाटु (को॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।