सैल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सैल पु ‡ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰ सैर] दे॰ 'सैर' । उ॰—(क) गोप अथाइन तें उठे गोरज छाई गैल । चलि बलि अलि अभिसार को भली सँझोखी सैल ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) मोहि मधुर मुसकान सों सबै गाँव के छैल । सकल शैल बनकुंज में तरुनि सुरति की सैल ।—मतिराम (शब्द॰) ।
सैल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शैल, प्रा॰ सैल] पर्वत । दे॰ 'शैल' ।
सैल ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰शल्य] दे॰ 'सेल' ।
सैल ^४ संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ सैल, फा़॰ सैलाब]
१. बाढ़ । जलप्लावन ।
२. स्त्रोत । बहाव । उ॰— सिवप्रिय मेकल सैल सुता सी। -तुलसी