सोग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सोग पुं॰ संज्ञा पुं॰ [सं॰ शोक, प्रा॰ सोक, सोग] शोक । दुःख । रंज । उ॰— (क) जाके बल गरजे महि काँपे । रोग सोग जा्के सिमाँ न चाँपे — रामानंद, पृ॰७ । (ख) निसि दिन राम राम की भक्ति, भय रुज नहिं दुख सोग । — सूर (शब्द॰) । (ग) चित पितु घातक जोग लखि भयौ भएँ सुत सोग । फिर हुलस्यौ जिय जोयसी समुझ्यो जारज जोग । — बिहारी (शब्द॰) । मुहा॰— सोग मनाना = किसी प्रिय या संबंधी के मर जाने पर शोकसूचक चिह्न धारण करना और किसी प्रकार के उत्सव या मनोविनोद आदि में संमिलित न होना ।