सोत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सोत संज्ञा सं॰ [सं॰ स्त्रोत] दे॰ 'स्त्रोत' या 'सोता' । उ॰— (क) लोल लोचनी कंठ लखि संख समुद के सोत । अरु उड़ि कानन को गए केकी गोल कपोत । — श्रृंगारसतसई (शब्द॰) । (ख) धन कुल की मरजाद कछु प्रेम पंथ नहिं होत । राव रंक सब एक से लगत प्रेम रस सोत । — हरिश्चंद्र (शब्द॰) । (ग)