सोमनाथ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सोमनाथ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ।

२. काठियावाड़ के पश्चिम तट पर स्थित एक प्राचीन नगर जहाँ उक्त ज्योतिर्लिंग का मंदिर है । विशेष—इतिहासज्ञों के अनुसार इस मंदिर के विपुल धन, रत्न की प्रसिद्ध सुनकर सन्१०२४ई॰ में महमूद गजनवी ने इसप र चढ़ाई की और यहाँ से करोड़ों की संपत्ति उसके हाथ लगी । मूर्ति तोड़ने पर उसमें से भी बहुमूल्य हीरे पन्ने आदि रत्न निकले थे । आस पास के लोगों ने महमूद के काम में बाधा दी थी, पर वे सफल नहीं हुए । अनंतर वह देवशर्मा नामक एक ब्राह्मण को वहाँ का शासक नियुक्त कर गजनी लौट गया । चौलुक्यराज दुर्लभराज ने उससे सोमनाथ के उद्धार किया । इसके बाद राठौरों ने उसपर अधिकार जमाया । पर सन् १३०० में यह फिर मुसलमानों के अधिकार में आ गया । सन् १९४८ के पहले तक यह जूनागढ़ के नवाब वंश के शासनाधिन रहा । इसे सोमनाथ पट्टन या सोमनाथ पत्तन भी कहते हैं । सन् १९४८ में देश की स्वतंत्रता घोषित होने पर विभिन्न देशी राज्यों की तरह यह भी भारत संघ में संमिलित कर लिया गया ।