सोस पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ शोच] दे॰ 'सोच' । उ॰—बार बार यांतें कहत यह मेरे जिय सोस । क्यों सैहै सुकुमार वह तुमरौ आतप रोस ।—स॰ सप्तक, पृ॰३९७ । (ख) उफा इन अँदेशे का ना सोस कर, कहे मन में यूँ आह अफसोस कर ।—दक्खिनी॰, पृ॰१३९ ।