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सोहना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सोहना ^१ क्रि॰ अ॰[सं॰ शोभन, प्रा॰ सोहण]

१. शोभित होना । सूंदरता के साथ होना । सजना । उ॰— (क) नासिक कीर, कँवल मुख सोहा । पदमिनि रुप देखि जग मोहा । —जायसी (शब्द॰) । (ख) काक पच्छ सिर सोहत नीके । —तुलसी (शब्दि्॰) । (ग) रत्न जटित कंकन बाजूबँद नगन मुद्रिका सोहै । —सूर (शब्द॰) । (घ) सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात । —बिहारी (शब्द॰) ।

२. अच्छा लगना । उपयुक्त होना । फबना । जैसे,— (क) यह टोपी तुम्हारे सिर पर नहीं सोहती । (ख) ऐसी बातें तुम्हें नहीं सोहतीं । उ॰— (क) यह पाप क्या हम लोगों को सोहता है । —प्रताप (शब्द॰) । (ख) ऐसी नीति तुम्हैं नहिं सोहत । —गोपाल (शब्द॰) ।

सोहना † ^२ वि॰ [वि॰ स्त्री॰ सोहनी]

१. सोहन । सुहावना । शोभा- युक्त । उ॰—को है सरद ससि मुख रहे लसि चपल नैना सोहना ।—नंद॰ ग्र॰, पृ॰ ३७५ ।

२. सुंदर । मनोहर । जैसे,—सोहनी लकड़ी, सोहना बगीचा ।

सोहना ^३ क्रि॰ स॰ [सं॰ शोधन, प्रा॰ सोहण] खेत में उगी घास निकालकर अलग करना । निराना ।

सोहना ^४ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ सोहान] कसेरों का एक नुकीला औजार जिससे वे घरिया या कुठाली में, साँचे में गली धातु गिराने के लिये, छेद करते हैं ।