सौंह
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सौंह ^३ क्रि॰ वि॰ सामने । संमुख । उ॰—(क) कपट सतर भौंहैं करी मुख सतरौंहौं बैन । सहज हँसौंहैं जानि कै सौँहैं करति न नैन ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) सही रगीलैँ रति जगैँ जगी पगी सुख चैन । अलसौँहै सौँहै किऐँ कहैं हँसौंहैँ नैन ।—बिहारी र॰, दो॰ ५११ । (ग) प्रेमक लुबुध पियादे पाऊँ । ताकै सौंह चलै कर ठाऊँ ।—जायसी (शब्द॰) ।