सौतन पु संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ सौत] दे॰ 'सौत' । उ॰—कान्ह भए बस बाँसुरी के अब कैन सखी हमको चहिहै । निस द्यौस रहै सँग साथ लगी यह सौतन तापन क्यों सहिहै ।—रसखान (शब्द॰) ।