सौन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सौन पु ^१ क्रि॰ वि॰ [सं॰ सम्मुख] सामने । प्रत्यक्ष । उ॰—ब्याह कियो कुल इष्ट वसिष्ट अरिष्ट टरे घर को नृप धाए । लै सुत चार विवाहत ही घरी जानकी तात सबै समुदाए । सौन भए अपसौन सबै पथ काँप उठे जिय में दुख पाए ।—हनुमन्नाटक (शब्द॰) ।
सौन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कसाई । बूचड़ ।
२. वह ताजा मांस जो बिक्री के लिये रखा हो । यौ॰—सौनधर्म्य = कसाई और पशु की सी शत्रुता । प्राणघातक दुशमनी । सौनपालक = वह व्यक्ति जिसके यहाँ रक्षा के काम में कसाई नियुक्त किए गए हों ।
सौन ^३ वि॰ पशुबधशाला या कसाईखाने का । पशुबधशाला संबंधी ।
सौन ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ श्रवण] दे॰ 'स्रोन' । उ॰—भर्म भूत सबहीं छुटेरी हेली सौन नछतर नाल ।—वरण॰ बानी॰, भा॰ २, पृ॰ १४५ ।