सौम्य
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]सौम्य ^१ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ सौम्या, सौम्यी]
१. सोम लता संबंधी ।
२. सोमदेवता संबंधी ।
३. चंद्रमा संबंधी ।
४. शीतल और स्निग्ध । ठंढा और रसीला ।
५. गंभीर और कोमल स्वभाव का । सुशील । शांत । नम्र ।
६. उत्तर की ओर का ।
७. मांगलिक । शुभ ।
८. प्रफुल्ल । प्रसन्न ।
९. मनोहर । प्रिय- दर्शन । सुंदर ।
१०. उज्वल । चमकीला ।
सौम्य ^२ संज्ञा पुं॰
१. सोम यज्ञ ।
२. चंद्रमा के पुत्र, बुध ।
३. बाह्मण ।
४. भक्त । उपासक ।
५. बायाँ हाथ ।
६. गूलर । उदुंबर ।
७. यज्ञ के यूप का नीचे से पंद्रह अरत्नि का स्थान ।
८. लाल होने के पूर्व की रक्त की अवस्था । (आयुर्वेद) ।
९. पित्त ।
१०. मार्गशीर्ष मास । अगहन ।
११. साठ संवत्सरों में से एक । विशेष—इस संवत्सर में अनावृष्टि, चूहे, टिड्डी आदि से फसल को हानि पहुँचती, रोग फैलता और राजाओं में शत्रुता होती है ।
१२. ज्योतिष में सातवें युग का नाम ।
१३. ब्राह्मणों के पितरों का एक वर्ग ।
१४. एक कृच्छ्र या कठिन व्रत ।
१५. वृष, कर्कट, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन राशि ।
१६. एक द्वीप का नाम । (पुराण) ।
१७. सुशीलता । सज्जनता । भलमनसाहत ।
१८. मृगशिरा नक्षत्र ।
१९. बाईं आँख । वाम नेत्र ।
२०. हथेली का मध्य भाग ।
२१. दिव्यास्त्र । उ॰—सत्य अस्त्र मायास्त्र महाबल घोर तेज तनुकारी । पुनि पर तेज विकर्षण लीजै सौम्य अस्त्र भयहारी ।—रघुराज (शब्द॰) ।