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सौरभ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

सौरभ ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. सुरभि का भाव या धर्म । सुगंध । खुशबू । महक । उ॰—त्रिविध समीर सुगन सौरभ मिलि मत्त मधुप गुंजार ।—सूर (शब्द॰) । यौ॰—सौरभवाह = पवन । उ॰—नहीं चल सकते गिरिवर राह । न रुक सकता है सौरभवाह ।—पल्लव॰ पृ॰ १२ । सौरभश्लथ = सुगंध की अधिकता से थकित । उ॰—सौरभश्लथ हो जाते तन मन, बिछते झर झर मृदु सुमन शयन—युगांत, पृ॰ ३५ ।

२. केसर । कुंकुम । जाफरान ।

३. तुंबुरु नामक गंधद्रव्य । तुंबरु ।

४. धनिया । धान्यक ।

५. बोल । हीराबोल । बीजाबोल ।

६. एक प्रकार का मसाला ।

७. आम । आम्र । उ॰—सौरभ पल्लव मदन विलोका । भयउ कोप कंपेउ त्रयलोका ।—तुलसी (शब्द॰) ।

८. एक साम का नाम ।

९. मदगंध (को॰) ।

सौरभ ^२ वि॰

१. सुगंधित । सुगंधयुक्त । खुशबूदार ।

२. सूरभि (गाय) से उत्पन्न ।