स्थावर

विक्षनरी से

'एकेन्द्रिय पदार्थ' के स्थान पर 'एकेन्द्रिय जीव' होगा

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

स्थावर ^१ वि॰ [सं॰]

१. जो चले नहीं । सदा अपने स्थान पर रहने वाला । अचल । स्थिर ।

२. जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया न जा सके । जंगम का उलटा । अचल । गैर मनकूला । जैसे,—स्थावर संपत्ति (मकान, बाग, गाँव आदि) ।

३. स्थायी । स्थितिशील ।

४. स्थावर संपत्ति संबंधी ।

५. निश्चेष्ट । निष्क्रिय (को॰) ।

६. वनस्पति संबंधी । वानस्पतिक (को॰) ।

स्थावर ^२ संज्ञा पुं॰

१. पहाड़ । पर्वत ।

२. अचल संपत्ति । गैर मनकूला जायदाद । जैसे,—जमीन, घर आदि ।

३. वह संपत्ति जो वंश- परंपरा से परिवार में रक्षित हो और जो बेची न जा सके । जैसे,—रत्न आदि ।

५. धनुष की डोरी । प्रत्यंचा । चिल्ला ।

६. कोई भी स्थावर वस्तु या पदार्थ । जैसे, वृक्ष, प्रस्तर आदि (को॰) ।

७. विशाल एवं स्थूल शरीर (को॰) ।

८. स्थायी होने का भाव । स्थायित्व (को॰) ।

९. जैन दर्शन के अनुसार एकेंद्रिय पदार्थ आदि जिनके पाँच भेद कहे गए हैं—(१) पृथ्वीकाय, (२) अपकाय, (३) तेजस्काय, (४) वायुकाय और (५) वनस्पतिकाय ।